अलंकार – श्लेष और यमक Alankar  

– अलंकार शब्द का अर्थ है अलंकृत करने वाला या शोभा बढ़ाने वाला।

– वह वस्तु जो किसी को सुशोभित करती है, अलंकार कहलाती है। जिस प्रकार हार-कुंडल आदि आभूषणों से नारी-शरीर की शोभा बढ़ती है, उसी प्रकार अनुप्रास, यमक, उपमा, रूपक आदि अलंकार काव्य के शब्दार्थ रूपी शरीर की सौन्दर्य-वृद्धि में सहायक होते हैं।
– आचार्य दण्डी ने काव्य की शोभा करने वाले धर्मों को अलंकार कहा हैंः ‘काव्य शोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते।’

अलंकारों का स्वरूप-

– काव्य में जिस वस्तु का वर्णन किया जाता है उसे वर्ण्य, प्रस्तुत, उपमेय कहा जाता है और उसकी शोभावृद्धि के लिए कवि उन्हीं के समान जिन अन्य पदार्थों को प्रस्तुत करता है उन्हें अप्रस्तुत या उपमान कहा जाता हैं।
– अप्रस्तुत या उपमान विधान में कवि की कल्पना व भावों का योग रहता हैं, जिससे शब्द और अर्थ में चमत्कार व सौन्दर्य उत्पन्न हो जाता हैं। इस दृष्टि से अलंकारों के स्वरूप-निर्धारण में तीन बातों पर ध्यान दिया जाता हैं-
अ. शब्द सौन्दर्य
ब. अर्थ सौन्दर्य  और
स. शब्दार्थ सौन्दर्य अर्थात् शब्द और अर्थ दोनों का सौन्दर्य।
इसी आधार पर अलंकारों के स्वरूप  निर्धारण में तीन प्रकार के अलंकार स्वीकार किये गये हैं- 1. शब्दालंकार  2. अर्थालंकार और 3. उभयालंकार।

अलंकार का लक्षण-

1. कथन के चमत्कारपूर्ण प्रकारों को अलंकार कहते हैं।
2. शब्द और अर्थ का वैचित्र्य अलंकार है।
3. काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्मों को अलंकार कहते है।
4. काव्य की शोभा की वृद्धि करने वाले शब्दार्थ के अस्थिर धर्मों को अलंकार कहते है।

अलंकारों का महत्व व उपयोगिता:-

– अलंकार काव्य में विषयवस्तु के वर्णन को रोचक और प्रभावशाली बनाने में सहायक होते हैं। कवि सूक्ष्म और अमूर्त भावों और स्थितियों को अलंकार की सहायता से पाठक तक सम्प्रेषित करने में सफल होता है।
– वस्तु का यथातथ्य  वर्णन प्रायः नीरस और शुष्क होता है, जबकि सहज रूप में किया गया आलंकारिक वर्णन अत्यंत सरस और हृदयग्राही होता है।
जैसे- किसी सुन्दर स्त्री के हंसने के वर्णन में कहा जाए कि उसके होठों पर दांतों की चमक बड़ी सुन्दर लग रही थी, तो कथन में कोई सरसता नहीं होगी। किन्तु जब प्रसाद जी ‘कामायनी- में श्रद्धा की मुस्कान का वर्णन उत्प्रेक्षा के सहारे निम्नलिखित पंक्तियों में करते हैं, तो पाठक उसमें तल्लीन हुए बिना नहीं रहताः-
और उस मुख पर वह मुसक्यान,
रक्त किसलय पर ले विश्राम।
अरुण की एक किरण अम्लान,
अधिक अलसाई हो अभिराम।।

श्लेष अलंकार –

किसी शब्द का एक बार प्रयोग होने पर भी उसके अर्थ एक से अधिक हो तो वहां श्लेष अलंकार होता है।
जहां कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हो, किन्तु प्रसंग भेद में उसके अर्थ एक से अधिक हो, वहां श्लेष अलंकार होता है।
जैसे –

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै मोती मानस चून।।

– यहां पानी के तीन अर्थ है- कांति, आत्म-सम्मान और जल। अतः श्लेष अलंकार हैं, क्योंकि पानी शब्द एक ही बार प्रयुक्त है तथा उसके अर्थ तीन है।

– ‘श्लेष’ का शाब्दिक अर्थ ‘चिपका हुआ’ होता है, अतः श्लेष अलंकार में एक ही शब्द में एक से अधिक अर्थ चिपके रहते हैं।

श्लेष अलंकार के भेद –

श्लेष अलंकार दो प्रकार का माना गया है-

अ. अभंग श्लेष –

जहां शब्द के टुकड़े किये बिना ही उसके अनेक अर्थ निकले वहां अभंग श्लेष होता है।
उदाहरण- ‘पानी गये न ऊबरै मोती मानस चून’
यहां ‘पानी’ के तीन अर्थ है – कांति, आत्म-सम्मान और जल एवं ये तीनों अर्थ ‘पानी’ शब्द के टुकड़े किये बिना ही निकल आते हैं। अतः अभंग श्लेष अलंकार है।

ब. सभंग श्लेष-

जहां एक ही शब्द के टुकड़े करने पर उसके अनेक अर्थ निकले वहां सभंग श्लेष होता है।
चिर जीवै जोरी जुरै, क्यों न सनेह गम्भीर।
को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर।।
– इस दोहे में ‘हलधर’ के दो अर्थ है – बलराम और बैल। जो इस शब्द के टुकड़े किये बिना ही प्राप्त हो जाते हैं, अतः अभंग श्लेष है।
किन्तु ‘वृषभानुजा’ के दो अर्थ करने के लिए उसे दो प्रकार से तोड़ना पड़ता है – वृषभानु+जा (वृषभानु – सुता यानी श्री राधा) तथा वृषभ + अनुजा ( बैल की भगिनी, गाय)। अतः यहां ‘सभंग श्लेष’ अलंकार है।
संतत सुरानीक हित जेही।
बहुरि सक्र सम बिन बहु तेही।।
सुरानीक = सुर+ अनीक (देवताओं की सेना)
सुरानीक = सुरा+नीक (अच्छी शराब)

यमक अलंकार

यमक का शाब्दिक अर्थ है – जोड़ा
लक्षण – जहां एक या एक से अधिक शब्दों की आवृत्ति एकाधिक बार हो और भिन्न-भिन्न स्थानों पर उसका अर्थ भिन्न-भिन्न हो, वहां यमक अलंकार होता है।

उदाहरण –

कनक-कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय।
या खाये बोराय जग, वा पाये बौराय।।
यहां ‘कनक’ शब्द दो बार प्रयुक्त हुआ है और दोनों बार उसका अर्थ भी भिन्न है अर्थात् पहले ‘कनक’ का अर्थ ‘स्वर्ण’ है एवं दूसरे ‘कनक’ का अर्थ धतूरा है।

यमक अलंकार दो प्रकार का होता है – अभंग यमक और सभंग यमक।

अ. जहां पर पूर्ण शब्द की आवृत्ति होती हैं, वहां अभंग होता है।
उदाहरण- तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।
यहां पर ‘बेर’ शब्द दो बार आया है। पहले का अर्थ ‘बार’ और दूसरे का अर्थ ‘बोर’ नामक फल है। अतः अभंग यमक है।
ब. जब पूरा शब्द दुबारा न आकर उस शब्द का कुछ अंश ही दुबारा आता है अथवा शब्द को तोड़कर अर्थ किया जाता है, वहां सभंग यमक होता है।

उदाहरण-

कर का मनका छांडि कै मन का मनका फेर।
यहां ‘मनका’ शब्द दो बार आया है, जिसका अर्थ है माला और ‘मन का’ (हृदय का)। इस प्रकार शब्द को तोड़कर अर्थ किया गया है, अतः सभंग यमक है।

 

 

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति

  •  मौद्रिक नीति से अभिप्राय मुद्रा एवं साख की मात्रा पर नियमन एवं नियंत्रण करने की नीति से है। आधुनिक समय में देश की आर्थिक तरक्की में मुद्रा एवं साख का महत्वपूर्ण स्थान है।
  • देश में मौद्रिक आवश्यकता के अनुरूप मुद्रा एवं साख की मात्रा में उचित प्रबंध एवं नियमन करने की आवश्यकता होती है।
  • भारत में मौद्रिक एवं साख नीति रिजर्व बैंक अपने केन्द्रीय बोर्ड की सिफारिश के आधार पर जारी करता है।
    रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के प्रमुख उपकरण निम्नलिखित हैं-
  • रेपो दर Repo Rate:- रेपो दर से अभिप्राय उस ब्याज दर से है, जो रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक दैनिक लेन-देन हेतु ऋणों पर वसूल करता है। केन्द्रीय बैंक बहुत कम अवधि के लिए ऐसे ऋण उपलब्ध करवाता है, यह ओवरनाईट कहलाता है। रिजर्व बैंक इस उपकरण का उपयोग करके बैंको की तरलता घटाने के लिए करता है, जिसके तहत रेपो दर बढ़ा देता है।
  • रिवर्स रेपो दर:- रिवर्स रेपो दर से अभिप्राय उस ब्याज दर से हैं, जो रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उनकी अल्पकालिक जमाओं की एवज में अदा करता है। रिजर्व बैंक इस उपकरण का उपयोग करके बैंकों की तरलता सीमित करने के लिए करता है। रिवर्स रेपो बढ़ाने से बैंकों की जमाओं पर मिलने वाला ब्याज अधिक हो जाने से बैंक अपनी जमाएं बैंक में बढ़ा देते हैं।
  • नकद कोषानुपात Cash Reserve Ratio – रिजर्व बैंक सभी व्यापारिक बैंकों का शीर्षस्थ बैंक है। अतः सभी सदस्य बैंकों को अपनी नकद जमाओं का एक निश्चित अनुपात अपने पास रखना पड़ता है। इसे ही नकद कोषानुपात कहते हैं। रिजर्व बैंक इसी कोषानुपात में वृद्धि करके सदस्य बैंकों के साख-सृजन की क्षमता को कम कर देता हैं। इससे देश में साख का संकुचन हो जाता है किन्तु जब यह नकद कोषानुपात में कमी कर देता हैं तो देश की अर्थव्यवस्था में साख का प्रसार हो जाता है।
  • वैधानिक तरलता अनुपात :- भारतीय रिजर्व बैंक अपने अधीनस्थ बैंकों को अपनी कुल नकद जमाओं का एक निश्चित अनुपात जमा कोष के रूप रखने के लिए निर्देशित करता है, जिसे सांविधिक या वैधानिक तरलता अनुपात SLR कहते हैं।
  • इस प्रकार केन्द्रीय बैंक वैधानिक तरलता अनुपात को कम करके देश में बैंकों द्वारा साख का विस्तार कर सकता है तथा दूसरी तरफ देश में साख की मात्रा घटाने के लिए वैधानिक तरलता अनुपात को बढ़ा देता हैं। इस प्रकार वैधानिक तरलता अनुपात भी भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण हैं।
  • इस प्रकार रिजर्व बैंक ने ‘मूल्य स्थिरता के साथ आर्थिक विकास’ के लक्ष्य को बनाये रखने के लिए नियंत्रित साख विस्तार की नीति का पालन किया हैं।

पृथ्वी में पाया जानेवाला सबसे ज्यादा मात्रा में कौन सा तत्व है?

सिन्धु घाटी सभ्यता किस काल की सभ्यता मानी जाती है

– कांस्य काल

पृथ्वी में पाया जानेवाला सबसे ज्यादा मात्रा में कौन सा तत्व है

– लौह

किस देश की तट-रेखा सबसे लम्बी है

– कनाडा

शिवाजी के गुरु का नाम क्या था

– रामदास

राजस्‍थान में सर्वप्रथम सूर्योदय किस जिले में होता है

– धौलपुर में

भारत की राष्ट्रीय मिठाई किसे कहा जाता है

– जलेबी को

बिहार का शोक किस नदी को कहा जाता है

– कोसी नदी

राजस्थान की मुख्यमंत्री के प्रयासों से बांका-पट्टी अब मीठा पानी के लिए नहीं तरसेगा

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि जिस सपने के पूरा होने की आस में पीढ़ियां गुजर गई, जायल की जनता के मीठे पानी के उस सपने को हमने पूरा किया है। अब यहां की गांव-ढाणियों को हिमालय का मीठा पानी मिलेगा। करीब 22 साल पहले 1996 में हमारी ही सरकार ने नागौर जिले के लोगों को मीठा पानी उपलब्ध कराने का जो बीड़ा उठाया था, मुझे बहुत खुशी है कि वह पूरा हुआ है।
श्रीमती राजे मंगलवार को जायल में राजस्थान ग्रामीण पेयजल एवं फ्लोराइड निराकरण परियोजना के द्वितीय चरण के तहत जायल क्षेत्र के 120 गांवों को पेयजल वितरण कार्य के शुभारम्भ समारोह को संबोधित कर रही थीं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर 1394 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया।
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हमारी सरकार होती तो 2010-11 तक पूरा कर चुके होते काम
श्रीमती राजे ने कहा कि अपनी पिछली सरकार के समय 2003 से 2008 के दौरान मैंने जायल के लोगों की पीड़ा को नजदीक से देखा और इसे दूर करने के लिए मातासुख क्षेत्रीय जलप्रदाय योजना के जरिए शुद्ध जल पहुंचाने का काम शुरू किया। यदि इसके बाद भी हमारी ही सरकार होती तो यह काम हम 2010-11 तक पूरा कर चुके होते। वर्ष 2015 में हमने ही नागौर लिफ्ट परियोजना के दूसरे चरण के तीन पैकेजों का कार्य शुरू किया था। दूसरे चरण से नागौर के सात कस्बों और 986 गांवों को मीठा पानी मिलेगा।
नागौर राजस्थान का दिल, वादों को पूरा करने में नहीं छोड़ी कसर
मुख्यमंत्री ने कहा कि नागौर राजस्थान का दिल होने के साथ ही मेरा परिवार भी है। आप लोगाें से किए वादों को पूरा करने में मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। सड़क और शिक्षा से लेकर पानी तक, हर क्षेत्र में जो भी वादे किए, उन्हें पूरा करने में हम कभी पीछे नहीं हटे। हमने साढ़े चार साल में नागौर जिले में विकास कार्यों के लिए 10 हजार करोड़ रूपये दिए हैं। जबकि पिछली सरकार के पूरे पांच साल में मात्र चार हजार करोड़ रूपए के ही काम हुए थे।
राज्य सरकार द्वारा किसानों सहित सभी वर्गों के हित में किए गए फैसलों का जिक्र करते हुए श्रीमती राजे ने कहा कि हमारी सरकार ने किसानों की ऋण माफी का जो ऎतिहासिक निर्णय लिया है, उससे 30 लाख से अधिक हमारे किसान भाइयों को फायदा होगा। इसी तरह सहकारिता विभाग के माध्यम से किसानों को 80 हजार करोड़ रूपये से अधिक के ऋण उपलब्ध कराए गए हैं जो अपने आप में रिकॉर्ड है। अनुसूचित जाति और जनजाति सहकारी विकास निगम की ओर से दिए गए दो लाख रूपये तक के ऋण भी माफ किए हैं, जिससे बड़ी संख्या में युवाओं को राहत मिली है।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने मेधावी छात्राओं को स्कूटी तथा दिव्यांगों को मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल भी वितरित की।
बांका पट्टी के लिए मुख्यमंत्री भागीरथ बनीं -केन्द्रीय मंत्री
समारोह में केन्द्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्यमंत्री श्री सीआर चौधरी ने कहा कि  जायल और नागौर जिले के कई क्षेत्रों में पानी में फ्लोराइड की मात्रा इतनी अधिक है कि लोगाें के घुटने टेढ़े हो जाते थे। इसी कारण इस क्षेत्र को ‘बांका-पट्टी’ के रूप में जाना जाता था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बांका-पट्टी तक हिमालय का मीठा पानी लाकर हमारे लिए भागीरथ बन गई हैं।
महिलाओं ने ली मुख्यमंत्री की बलइयां
बरसों से खारे पानी की पीड़ा झेल रहे जायल के गांवों की महिलाएं उस समय निहाल हो गई जब मुख्यमंत्री ने मोटर का बटन दबाकर जायल हैडवक्र्स का उद्घाटन किया। इसी के साथ सैकड़ों मील दूर से लाया गया हिमालय का मीठा पानी क्षेत्र में पहुंचा, तो इन महिलाओं ने खुशी का इजहार करते हुए मुख्यमंत्री की बलइयां लीं। श्रीमती राजे के हैडवक्र्स पहुंचने पर महिलाओं ने मंगलगीत गाकर उनका स्वागत किया।
जलदाय मंत्री श्री सुरेन्द्र गोयल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राजस्थान की जल समस्या के स्थायी समाधान के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए हैं। इनमें ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट और मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान जैसे महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम शामिल हैं। जायल विधायक डॉ. मंजू बाघमार ने भी समारोह को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर सहकारिता मंत्री श्री अजय सिंह, चिकित्सा राज्यमंत्री श्री बंशीधर बाजिया, माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष श्री हरीश कुमावत, विधायक श्री हबीबुर्रहमान, श्री मनोहर सिंह, श्री सुखाराम, श्रीराम भींचर, श्री मानसिंह किनसरिया, श्री विजय सिंह एवं अन्य जनप्रतिनिधि, प्रमुख शासन सचिव जलदाय श्री रजत मिश्र सहित वरिष्ठ अधिकारी एवं बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित थे।
1394 करोड़ से अधिक की सौगात 
1.दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में 33/11 केवी सब स्टेशन का निर्माण, बरनेल 1.74
2.राजस्थान ग्रामीण पेयजल एवं फ्लोराइड निराकरण परियोजना (नागौर लिफ्ट पेयजल परियोजना फेज-2) 1382
3.राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से मुख्य आबादी होते हुए खंदलाई नाडी सड़क तक ग्रामीण गौरव पथ 0.58
4.बुरडी-कमेडिया-आकोडा सड़क किमी 7/0 से 8/0ग्रामीण गौरव पथ 0.58
5.जायल-बरनेल-हिरासनी सड़क होते हुए छाजोली मार्ग किमी 0/0 से 1/0 ग्रामीण गौरव पथ 0.58
6.बस स्टेण्ड से खाटू-जायल तिराहा की ओर वाया पोस्ट ऑफिस व सार्वजनिक कुआं किमी 0/. से 1/0 ग्रामीण गौरव पथ 0.58
7.भावला-गेलोली कसनाउ सड़क किमी 0/0 से 1/0 0.58
8.ढेहरी मार्ग से मुण्डी सड़क रामदेवरा व आमगवाड वाया नाथजी के थान तक (ग्राम पंचायत) ग्रामीण गौरव पथ 0.58
9.रोल-डिडिया कलां-मूण्डवा सड़क किमी 4/0 से 5/0 ग्रामीण गौरव पथ 0.58
10.गोठ-मूण्डवा/आसोप सड़क किमी 15/0 से 16/0 ग्रामीण गौरव पथ 0.58
शिलान्यास
1.दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना में 33/11 केवी सब स्टेशन का निर्माण, कमेड़िसर 1.46
2.विश्राम गृह का निर्माण कार्य जायल 0.81
3.जायल-डीडवाना रोड पेट्रोल पम्प से खियाला रोड तक मिसिंग लिंक 0.40
4.छाजौली से बरनेल से अम्बाली सड़क का निर्माण मिसिंग लिंक 2.00
5.खियाला से सिलनवाद सीमा तक (वृत नागौर मिसिंग लिंक सड़क) 1.20
                                      कुल                                                1394.25

राजस्थान के मुख्य सचिव श्री डी.बी. गुप्ता ने पदभार संभाला

जयपुर, 30 अप्रेल। भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी श्री डी.बी. गुप्ता ने सोमवार को शासन सचिवालय स्थित मुख्य सचिव कार्यालय में श्री एन.सी गोयल से मुख्य सचिव पद का पदभार ग्रहण किया।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 11 सितम्बर 1960 में जन्मे जयपुर जिले के मूल निवासी श्री डी.बी गुप्ता 1983 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं। श्री गुप्ता इससे पूर्व वित्त विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव थेDSC_8945

राजस्थान की विभिन्न परीक्षाओं व आरपीएससी में पूछे गये महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

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  • सावरकर बंधुओं के नाम- गणेश दामोदर सावरकर (जन्म 1880 ई.), विनायक दामोदर सावरकर (जन्म 1883 ई.), नारायण दामोदर सावरकर (जन्म 1887 ई.) थे। ये ब्राह्मण परिवार भजूर गांव के रहने वाले थे। विनायक दामोदर सावरकर ने फर्ग्यूसन कॉलेज, पूना से बी.ए. पास किया।
  • 1905 से गणेश व विनायक दामोदर सावरकर डब्ल्यू.एस. खारी के नेतृत्व में आंदोलनकारी गतिविधियों में भाग लेने लगे।
  • राजस्थान का सबसे शुष्क स्थान कौनसा है?
    फलोदी
    डूंगरपुर और बांसवाड़ा को अलग करने वाली कौनसी नदी है?
    माही नदी
    राजस्थान का सबसे ऊंचा जल प्रपात कौनसा है?
    चूलिया जल प्रपात
    चूलिया जल प्रपात किस नदी पर स्थित है?
    चम्बल
    लूनी नदी का उदगम स्थल कहाँ है?
    नाग पहाड़ियां
    राजस्थान में किस जिले में सबसे ज्यादा वन पाए जाते है?
    उदयपुर
    रेगिस्तान वनरोपण और भू-संरक्षण केंद्र कहां स्थित है?
    जोधपुर
    खनन क्षेत्र में होने वाली आय की दृष्टि से राजस्थान का देश में कौनसा स्थान है ?
    8वां
    राजस्थान में मैगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक जिला कोनसा है ?
    बांसवाडा
    टंगस्टन की खान राज्य में कहाँ स्थित है ?
    डेगाना नागौर
    राजस्थान में सबसे अधिक फेल्सपार किस जिले से प्राप्त किया जाता है ?
    अजमेर
    मांडो की पाल (डूंगरपुर) किस खनिज के लिए प्रसिद्ध है ?
    फ्लोराइट
    झामर कोटडा क्षेत्र किस जिले में स्थित है ?
    उदयपुर
    राजस्थान का सबसे बड़ा जिप्सम का जमाव कहां मिलता है?
    जामसर (बीकानेर)
    राजस्थान में हीरे के भंडारों की खोज कहां हुई ?
    केसरपुरा (चित्तौड़गढ़)
    राजस्थान में बेन्टोनाइट के भंडार कहां स्थित है ?
    झालावाड
    सोनू (जैसलमेर) किस खनिज के लिए प्रसिद्ध है ?
    चूना पत्थर
    किस क्षेत्र में पीला इमारती पत्थर मिलते है ?
    जैसलमेर
    सर्वाधिक विक्रय मूल्य अर्जित करने वाला राजस्थान का खनिज कौनसा है ?
    संगमरमर
    राजस्थान में सीसे की सबसे बड़ी खान कहाँ स्थित है ?
    जावर
    राजस्थान में काला पत्थर बहुतायत में कहाँ पाया जाता है ?
    सिरोही
    देश का कितना प्रतिशत एस्बेस्टस राजस्थान की खानों से प्राप्त होता है?
    98 प्रतिशत
    गार्नेट सर्वाधिक कहाँ पाया जाता है ?
    टोंक में
    ओप्रेसन फ्लड की शुरुआत कब की गयी ?
    1970 में
    मरुस्थल विकास कार्यक्रम कब शुरू किया गया ?
    1977-78

बूंदी की सुंदरता में चार चाँद लगाता है तारागढ़ दुर्ग और झीलें

  • राजस्थान के अरावली पर्वतमाला में बसे बूंदी ज़िले की सुरक्षा प्रहरी की तरह है बूंदी का तारागढ़ दुर्ग।
  • हाड़ा राजपूतों के अप्रतिम शौर्य और वीरता का प्रतीक बूंदी का तारागढ़ पर्वतशिखरों से सुरक्षित होने के साथ-साथ नैसर्गिक सौन्दर्य से भी ओतप्रोत है।
  • यह गिरि दुर्ग का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • इसका निर्माण 14वीं सदी में 1354 ई. में बूंदी के संस्थापक राव देव हाड़ा ने करवाया। राजस्थान के अन्य किलों की तुलना में इस दुर्ग पर मुगल स्थापत्य कला का कोई खास प्रभाव दिखाई नहीं देता। यह दुर्ग ठेठ राजपूती स्थापत्य व भवन निर्माण कला से बना हुआ है।
  • सुदृढ़ और उन्नत प्राचीर, विशाल प्रवेशद्वार और अतुल जलराशि से परिपूर्ण तालाब ऐसा नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत करते हैं कि तारागढ़ का सौन्दर्य देखते ही बनता है।
  • बूंदी और उसका निकटवर्ती प्रदेश (कोटा सहित) तक हाड़ा राजवंश द्वारा शासित होने के कारण हाड़ौती के नाम से जाना जाता है।
  • कविराजा श्यामलदास द्वारा लिखित ग्रंथ ‘वीर विनोद’ में उल्लेख –

‘कुल मीनों का सरदार जैता बूंदी में रहता था जिसको दगा से देवसिंह ने मार डाला। उसके खानदान के लोगों को भी जो शराब के नशे में गाफिल थे कत्ल करके देवसिंह ने बूंदी पर अपना कब्जा कर लिया। उस वक्त से बूंदी में हाड़ाओं का राज चला आता हैं।’

  • वंशभास्कर में भी देवसिंह द्वारा जैता मीणा से बूंदी लेने का प्रसंग आया है।
  • राव देवा के वंशज राव बरसिंह ने मेवाड़, मालवा और गुजरात की ओर से संभावित आक्रमणों से सुरक्षा के लिए बूंदी के पर्वतशिखर पर एक विशाल दुर्ग का निर्माण करवाया जो तारागढ़ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
  • पर्वत की ऊंची चोटी पर स्थित होने के कारण धरती से आकाश के तारे के समान दिखलाई पड़ने के कारण इसका नाम तारागढ़ पड़ा हो।
  • इसका स्थापत्य कछवाहा राजवंश की पूर्व राजधानी आम्बेर से मिलता जुलता है।
  • लगभग 1426 फीट ऊंचे पर्वतशिखर पर बने यह दुर्ग पांच मील के क्षेत्र में फैला है। तारागढ़ की सुदृढ़ प्राचीर में बनी विशालकाय भीमबुर्ज या चौबुर्जे से जब आक्रमणकारी पर गोले बरसते होंगे तो दुश्मन के तारागढ़ लेने के मनसूबे ठंडे पड़ जाते होंगे।
  • पर्वतीय ढलान पर बने बूंदी के भव्य राजमहल अपने अनूठे शिल्प और सौन्दर्य के कारण अद्वितीय हैं। इतिहासकार कर्नल टॉड बून्दी के राजमहलों के सौन्दर्य पर मुग्ध हो गया। उसने राजस्थान के सभी रजवाड़ों के राजप्रसादों में बूंदी के राजमहलों को सर्वश्रेष्ठ कहा है।
  • अपने निर्माताओं के नाम से प्रसिद्ध इन महलों मे छत्र-महल, अनिरुद्ध महल, रतन महल, बादल महल और फूल महल स्थापत्य कला के अत्यंत उत्कृष्ट उदाहरण हैं। बूंदी के इन राजमहलों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनके भीतर अनेक दुर्लभ एवं जीवन्त भित्तिचित्रों के रूप में कला का एक अनमोल खजाना विद्यमान है।
  • विशेषकर महाराव उम्मेदसिंह के शासनकाल में निर्मित चित्रशाला (रंगविलास) बूंदी चित्रशैली का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। देश-विदेश के संग्रहालयों में सुरक्षित बूंदी शैली के चित्रों में शिकार, युद्ध, राग-रागिनियों, बारहमासा, प्रकृतिचित्रण, नारी सौन्दर्य तथा अन्यान्य धार्मिक धार्मिक और लौकिक विषयों से सम्बन्धित चित्रों का बाहुल्य है, जो बूंदी के हाड़ा शासकों के कलाप्रेम का उजागर करती है।
  • अन्य भवनों में जीवरखा महल, दीवान ए आम, सिलहखाना, नौबतखाना, दूधा महल, अश्वशाला आदि उल्लेखनीय हे।
  • हाथीपोल, गणेशपोल तथा हजारीपोल दुर्ग के प्रमुख द्वार हैं। इनमें हाथीपोल के दोनों ओर हाथियों की दो सजीव पाषाण प्रतिमाएं लगी है जिन्हें महाराव रतनसिंह ने वहां स्थापित करवाया था। महाराव बुद्धसिंह ने बूंदी नगर के चारों ओर प्राचीर का निर्माण करवाया।
  • इसके अलावा चौरासी खम्भों की छतरी, शिकार बुर्ज तथा फूलसागर, जैतसागर और नवलसागर सरोवर बूंदी के वैभव में चार चांद लगाती हैं।
  • मेवाड़ के महाराणा लाखा के अथक प्रयासों के बावजूद भी बूंदी पर अधिकार न कर पाये तो उन्होंने मिट्टी का नकली दुर्ग बनवा उसे ध्वस्त कर अपने मन की आग बुझाई। परंतु इस नकली दुर्ग के लिए भी मानधनी कुम्भा हाड़ा ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी।
  • दुर्ग में बना विशाल जलाशय कभी गढ़ में पानी उपलब्ध कराता किले के भीतर कई आकर्षक स्मारक हैं जिनमें भीम बुर्ज प्रमुख है। भीम बुर्ज के निकट बनी हुई छतरी का निर्माण भाई देवा ने करवाया था और यह अपनी शिल्प कला के लिए जानी जाती है। आज यह दुर्ग बूंदी का प्रमुख आकर्षक है।
  • चित्रशालाश्रावण-भादों में नाचते हुए मोर बूँदी के चित्रांकन परम्परा में बहुत सुन्दर बन पड़े है। यहाँ के चित्रों में नारी पात्र बहुत लुभावने प्रतीत होते हैं। मुग़लों की अधीनता में आने के बाद यहाँ की चित्रकला में नया मोड़ आया। यहाँ की चित्रकला पर उत्तरोत्तर मुग़ल प्रभाव बढ़ने लगा। राव रत्नसिंह (1631- 1658 ई.) ने कई चित्रकारों को दरबार में आश्रय दिया। शासकों के सहयोग एवं समर्थन तथा अनुकूल परिस्थितियों और नगर के भौगोलिक परिवेश की वजह से सत्रहवीं शताब्दी में बूँदी ने चित्रकला के क्षेत्र में काफ़ी प्रगति की। चित्रों में बाग, फ़व्वारे, फूलों की कतारें, तारों भरी रातें आदि का समावेश मुग़ल प्रभाव से होने लगा और साथ ही स्थानीय शैली भी विकसित होती रही। चित्रों में पेड़ पौधें, बतख तथा मयूरों का अंकन बूँदी शैली के अनुकूल है। सन् 1692 ई. के एक चित्र बसंतरागिनी में बूँदी शैली और भी समृद्ध दिखायी देती है। कालांतर में बूँदी शैली समृद्धि की ऊँचाइयों को छूने लगी।
  • चित्रों में कदली, आम व पीपल के वृक्षों के साथ-साथ फूल-पत्तियों और बेलों को चित्रित किया गया है। चित्र के ऊपर वृक्षावली बनाना एवं नीचे पानी, कमल, बत्तख़ें आदि चित्रित करना बूँदी चित्रकला की विशेषता रही है।
  • नारी चित्रण में तीखी नाक, बादाम-सी आँखें, पतली कमर, छोटे व गोल चेहरे आदि मुख्य विशिष्टताएँ हैं। स्त्रियाँ लाल-पीले वस्त्र पहने अधिक दिखायी गयी हैं। बूँदी शैली की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता पृष्ठ भूमि के भू-दृश्य हैं।
  • बूँदी अपनी विशिष्ट चित्रकला शैली के लिए विख्यात है, जो इस अंचल में मध्यकाल में विकसित हुई। बूँदी के विषयों में शिकार, सवारी, रामलीला, स्नानरत नायिका, विचरण करते हाथी, शेर, हिरण, गगनचारी पक्षी, पेड़ों पर फुदकते शाखामृग आदि रहे हैं।
  • यह चित्रशाला मनमोहक मण्डप और लघु भित्ति चित्रों की दीर्घा महल से अलंकृत हैं रागमाला और रासलीला, राधाकृष्ण के परिष्कृत रंगीन दृश्य दीवार पर अंकित है। आज भी बूंदी के भिति चित्र विश्व प्रसिद्ध है व बूंदी की यात्रा चित्रशाला देखे बिना पूरी  नहीं मानी जाती है।
  • जैतसागर झील : यह सुरम्य झील बूंदी में तारागढ़ किले के नजदीक है, जो शुक्ल बावड़ी दरवाजे के बाहर स्थित चारों ओर पहाड़ियों से घिरी हुई है। इसे जैता मीणा ने बनवाया था। जल संरक्षण राजस्थान की परंपरा में समाहित है। यहां जल स्रोत धार्मिक आस्था से बंधे हैं।इसे बड़ा तालाब भी कहते हैं। यह झील 4455 हैक्टेयर भूमि में फैली है। 1995 तक यह झील ताजा पानी का स्रोत थी। मानसून और सर्दियों में यहां कमल खिलते हैं। यहां का सौंदर्य देखते ही बनता है। इस झील में लगे फव्वारे के चलने पर झील का झिलमिलाता पानी अत्यंत आकर्षक व मनोहारी लगता है।नवल सागर
  • नवल सागर की चोकोर कृत्रिम झील किले से दिखाई जाती है। झील में कई छोटे टापू भी बने हुए है। इस झील में अना आयों के जल देवता वरुण का मन्दिर है, जो लगभग आधा जलमग्न है। इस झील में शहर व उसके महलों का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है जो बूंदी को अलौकिक आकर्षण प्रदान करता है।
  • इसका जीर्णोद्धार राव राजा सुरजन सिंह की माता रानी जयवंती ने करवाया था। इसके बाद इसका पुनरुद्धार राव राजा विष्णु सिंह के कारीगर सुखराम ने कराया और इसके निकट ग्रीष्म ऋतु में शाही परिवार के रहने के लिए ‘सुखमहल’ नामक विश्रामगाह भी बनवाया, जिसमें विश्वविख्यात लेखक रुड्यार्ड किपलिंग अपने भारत प्रवास के दौरान ठहरे थे।

2017 में हुए युद्ध सैन्य अभ्यास

  • अल-निगाह
  • भारतीय और ओमान की फौजों के बीच दूसरा ‘अल-निगाह’ संयुक्त सैन्य अभ्यास 6 से 19 मार्च, 2017 तक हिमाचल प्रदेश के बकलोह में हुआ।
  • वरुण-17
  • पश्चिमी जहाजी बेड़े ने अप्रैल-2017 में फ्रांस की नौसेना के साथ तौलोन, फ्रांस के निकट वरुण-17 द्विपक्षीय अभ्यास में भाग लिया। आईएनएस त्रिशूल, मुम्बई तथा आदित्य ने एकीकृत हेलिकॉप्टरों के साथ इस अभ्यास में भाग लिया।
  • कोंकण -17
  • आईएनएस तरकश मई 2017 के दौरान इंगलैण्ड में रॉयल नेवी के साथ द्विपक्षीय अभ्यास कोंकण-17 में भागीदारी की। अभ्यास के दौरान जहाज प्लाइमाउथ लंदन गया और एचएवएस त्रिकोमाली द्विशताब्दी वर्ष समारोहों तथा लंदन में ‘भारत-इंगलैण्ड संस्कृति वर्ष’ समारोह में भाग लिया।
  • भारत-श्रीलंका संयुक्त सैन्य अभ्यास मित्र शक्ति – 2017
  • 5वां भारत-श्रीलंका संयुक्त सैन्य अभ्यास मित्र शक्ति 2017 का आयोजन 13 से 26 अक्टूबर तक पुणे की औंध छावनी में हुआ। इसके तहत अर्द्धशहरी क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियान का अभ्यास किया गया।
  • भारत-नेपाल संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण – XI
  • सूर्य किरण – XI 7 से 20 मार्च, 2017 तक पिथौरागढ़ में आयोजित हुआ। इस संयुक्त सैन्य अभ्यास भारतीय सेना की इन्फेंट्री बटालियन और नेपाल की दुर्ग बक्श बटालियन शामिल हुई। अभ्यास के दौरान मानवीय सहायता और आपदा राहत का अभ्यास भी किया गया।
  • भारत-बांग्लादेश संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘सम्प्रति’
  • 6 से 18 नवम्बर, 2017 तक
  • सीआईजेडब्ल्यू स्कूल, वायरगते में
  • उद्देश्य – जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर की परिस्थितियों के अनुरूप उग्रवादियों और आतंकवादियों के खिलाफ अभियान का प्रशिक्षण देना था।
  • भारत-इंगलैण्ड संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘अजेय वॉरियर’
  • भारत-इंगलैण्ड के बीच ‘अजेय वॉरियर’ का आयोजन 1 से 14 दिसम्बर 2017 तक महाजन फील्ड फायरिंग रेंज, बीकानेर (राजस्थान) में किया गया। अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच द्विपक्षीय सम्बन्धों को बढ़ाना तथा उग्रवाद विरोधी अभियानों में एक-दूसरे के अनुभवों से लाभ उठाना था।
  • अभ्यास ‘प्रलय सहायम’
  • यह अभ्यास हैदराबाद और सिकंदराबाद में शहरी बाढ़ की परिकल्पना के तहत किया गया।
  • भारत-मंगोलिया संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘नोमैडिक एलीफेंट’
  • 12वां भारत-मंगोलिया संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘नोमैडिक एलीफेंट’ 5 से 18 अप्रैल तक वायरंगते में आयोजित हुआ।
  • इसमें मंगोलिया की तरफ से स्पेशल फोर्स टास्क बटालियन ने और भारत की तरफ से जम्मू-कश्मीर राइफल्स ने हिस्सा लिया।
  • इस अभ्यास के अंतर्गत उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ सेना को प्रशिक्षित किया गया।
  • मालाबार – 2017 अभ्यास
  • एक्स मालाबार के 21वें संस्करण का आयोजन 9 से 17 जुलाई, 2017 तक
  • भारत के पूर्वी तट के बंदरगाह के पास किया गया। भारतीय नौसेना, अमरीकी नौसेना तथा जापानी समुद्री स्व-सुरक्षा बल ने इस अभ्यास में भाग लिया। इस अभ्यास का मुख्य प्रयोजन भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच समुद्री सहयोग एवं आपसी सहयोग बढ़ाना था। कुल मिलाकर 16 जहाजों, दो पनडुब्बियों, 95 विमानों, समुद्री कमांडो (मारकोस) तथा विशेष दस्तों ने इस अभ्यास में भागीदारी की।
  • भारत-कजाकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘प्रबल दोस्तिक’
  • भारत-कजाकिस्तान की सेनाओं में बीच 2 से 15 नवम्बर, 2017 तक हिमाचल प्रदेश के बकलोह में किया गया।
  • ऑपरेशन सहायम
  • ओखी चक्रवात के दौरान वायुसेना ने विमानों की मदद से 17 मछुआरों को बचाया। एक सी-130 जे विमान को एनडीआरएफ की टीम के साथ हिंडन एयरबेस में तैयार रखा गया जो जरूरत पड़ने पर लक्ष्यद्वीप तक सीधी उड़ान के माध्यम से पहुंच सकता था।
  • ब्लू फ्लैग-17
  • 2-16 नवंबर को
  • मध्य इजराइल के उवडा एयरफोर्स बेस पर संयुक्त युद्धाभ्यास।
  • वर्ष 2013 में प्रारम्भ ‘ब्लू फ्लैग’ इजराइल का द्वि-वार्षिक वायुसेना युद्धाभ्यास है। इस वर्ष युद्धाभ्यास में इजराइल सहित सात देश फ्रांस, जर्मनी, इटली, ग्रीस, पॉलैण्ड, अमरीका और भारत ने हिस्सा लिया।

नवजोत कौर ने एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया

भारत की नवजोत कौर ने किर्गिस्तान के बिश्केक में चल रही सीनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप के 65 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने 62 किग्रा में औ फ्रीस्टाइल पहलवानों में बजरंग ने 65 किग्रा तथा विनोद आमेप्रकाश ने 70 किग्रा में कांस्य पदक जीतें।
आईएसएसएफ विश्व कप स्टेज-1 में भारत ने एक स्वर्ण और दो कांस्य पदक जीतकर बेहतरीन शुरूआत की।
23 साल के शहजार रिजवी ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही 242.3 अंकों का नया विश्व रिकॉर्ड भी बनाया जबकि 17 साल की मेहुला घोष ने 10 मीटर महिला एयरराइफल में जूनियर वर्ग का कांस्य पदक जीता।
जीतू राय ने कांस्य पदक जीता।

ras 2018

ras

राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर

विज्ञापन संख्या:02/परीक्षा/RAS-RTS/2018-19           दिनांक: 02.04.2018

आयोग द्वारा राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएं (संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा द्वारा सीधी भर्ती) नियम, 1999 के अंतर्गत राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा 2018 के लिए कार्मिक (क-4/2) विभाग द्वारा सूचित पदों हेतु ऑनलाइन आवेदन पत्र आमंत्रित किये जाते है।


आवेदक विज्ञापित एक या एक से अधिक सेवाओं के लिए आवेदन-पत्र  प्रस्तुत करें। राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएं हेतु कुल रिक्त पदों (पदों में कमी/वृद्धि की जा सकती है) का विवरण निम्नानुसार हैः-

राज्य सेवाओं हेतु रिक्त पदों की संख्या 405  एवं अधीनस्थ सेवाओं हेतु रिक्त पदों की संख्या 575

अभ्यर्थी हेतु रिक्त पदों के सेवावार वर्गवार वर्गिकरण, वेतनमान एवं अन्य सूचनाओं हेतु आयोग की  वेब-साईट http://www.rpsc.rajasthan.gov.in का समय पर अवलोकन करते रहें।

शैक्षणिक योग्यताएं (उक्त सभी विषय पदों के लिए):

(i)Second Class Post graduate degree in the concerned subject having minimum 48% marks with Shiksha Shastri/B.Ed. degree. (ii) Working knowledge of Hindi written in Devnagari Script and knowledge of Rajasthani Culture.

आयु सीमा-दिनांक 01.07.2019 को न्यूनतम 21 वर्ष एवं अधिकतम 40 वर्ष से कम।

अभ्यर्थियों द्वारा परीक्षा शुल्क परीक्षा हेतु आवेदन पत्र भरकर RecruitmentPortal पर उपलब्ध भुगतान सुविधा से भुगतान कर आवेदन क्रमांक जनरेट करना होगा।

अभ्यर्थी परीक्षा शुल्क जमा कराने हेतु अन्य किसी पोर्टल अथवा सुविधा का उपयोग न करें।

अभ्यर्थियों को उक्त परीक्षा शुल्क जमा करने की सुविधाओं में किसी भी प्रकार का शुल्क रिफण्ड नहीं किया जायेगा। अभ्यर्थी परीक्षा शुल्क का भुगतान आवेदन की अन्तिम दिनांक से पूर्व सुनिश्चित करें ताकि किसी प्रकार की भुगतान संबंधित Transaction का लम्बित सत्यापन समय रहते हो सके। ऑनलाईन संशोधन ऑनलाईन आवेदन पत्र में संशोधन दिनांक 12-05-2018 से दिनांक 18-05-2018 रात्रि 12ः00 बजेतक।

विशेष नोट:- (1) अभ्यर्थी Online Application Form  में अपना वही मोबाईल नम्बर अंकित करें जिस पर वह परीक्षा/साक्षात्कार इत्यादि संबंधी भावी सूचना SMS के माध्यम से चाहता है। ऑनलाईन आवेदन में अंकित मोबाईल नम्बर बदलने/बन्द/नेटवर्क समस्या होने पर सूचनाएं प्राप्त नहीं होने के लिए अभ्यर्थी की स्वयं की जिम्मेदारी होगी। (2) आयोग द्वारा अभ्यर्थी से किसी भी प्रकार का ऑफलाईन/लिखित संशोधन स्वीकार्य नहीं होगा।

किसी भी त्रुटि का सम्पूर्ण दायित्व अभ्यर्थी का ही होगा एवं उक्त 07 दिवस की ऑनलाईन संशोधन तिथि उपरान्त कोई भी परिवर्तन करने हेतु अभ्यर्थी को कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा।

Recruitment PDF

इलेक्ट्रॉनिक वे बिल (ई-वे बिल) सिस्टम

‘राब्ता’

‘राब्ता’ एक ऑनलाइन शिकायत निवारण पोर्टल है। यह पोर्टल सुविधा जम्मू-कश्मीर में रहने वाले नागरिकों के लिए शुरू की गई है। इसमें लोग अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

अंतरिक्ष में वर्ष 2016 में अनियंत्रित हुई चीनी स्पेस लेब ‘तियानगॉन्ग-1’ पृथ्वी के वायुमंडल में टकराकर नष्ट हो गई और उसका कुछ मलबा दक्षिणी प्रशांत महासागर में जा गिरा।

सचिन तेंदुलकर ने राज्यसभा सांसद के तौर पर अपना वेतन और भत्ते प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर दिए हैं। सचिन को पिछले 6 वर्षों में अन्य मासिक भत्तों के साथ करीब 90 लाख रुपये वेतन के रूप में मिले थे।

‘लोसर’

तिब्बती नव वर्ष को ‘लोसर’ कहते हैं। यह त्यौहार तिब्बत में बौद्ध धर्म के आगमन के मौके पर शुरू किया गया था। इस त्यौहार में लोग घरों में सफाई करते हैं, नई-नई वस्तुएं लाते है तथा बुद्ध की पूजा करते हैं। इस दिन लोग विशेष चिलमची के पानी में विकसित जौ के पौधे को बौद्ध आले पर रखते हैं और नए साल में अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं।

भारतीय महिला पहलवान नवजोत कौर ने एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है। नवजोत कौर एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय पहलवान है। उन्होंने 65 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग के फाइनल में जापान की मिया इमाई को 9-1 से हराकर गोल्ड मेडल जीता है।

मैरीलैंड यूनिवर्सिटी (अमेरिका) के शोध के अनुसार प्राकृतिक जलवायु चक्रों और जलवायु परिवर्तन के कारण पिछली एक सदी में सहारा रेगिस्तान का क्षेत्रफल 10 प्रतिशत तक बढ़ गया है। इसका प्रमुख कारण बढ़ता तापमान और कम बारिश को माना है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि उनकी सरकार मजदूरों के बच्चों की पहली कक्षा से लेकर पीएचडी तक की शिक्षा का खर्च उठाएगी।

इंडियन सेल्युलर एसोसिएशन ने बताया है कि भारत 2017 में हैंडसेट उत्पादन के मामले में वियतनाम को पछाड़कर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल उत्पादक देश बन गया।

श्री गुरु गोविन्द सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष में जारी होने वाले विशेष स्मारक सिक्के को मुंबई टकसाल जारी करेगी।

भारत में 1 अप्रैल 2018 से पोस्ट ऑफिस पेमेंट बैंक ने अपनी सेवाएं आरंभ की है। इसे भारत पोस्ट पेमेंट बैंक के नाम से जाना जायेगा तथा यह देश का सबसे बड़ा बैंक नेटवर्क होगा।

रुपश्री

पश्चिम बंगाल सरकार ने कन्याश्री के बाद रुपश्री योजना आरंभ करने की घोषणा की है। इस महत्त्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की युवतियों की शादी कराना है।

इनसाइट मिशन

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मंगल ग्रह की भीतरी सतह का अध्ययन करने के लिए इनसाइट मिशन लांच किया।

केरल ने संतोष ट्रॉफी के लिए 72वीं राष्ट्रीय फुटबाल चैम्पिश्नशिप के फाइनल में गत चैम्पियन बंगाल को पेनल्टी शूटआउट में 4-2 से हराकार खिताब जीता।

‘इंडिया बाई द नील’

‘इंडिया बाई द नील’ वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव मिस्र में आयोजित किया गया है। इस उत्सव को आयोजित करने का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और उसकी विविधता को दर्शाना है।

जीएसटी के अंतर्गत शुरू किया गया इलेक्ट्रॉनिक वे बिल (ई-वे बिल) सिस्टम 1 अप्रैल से देश भर में लागू किया गया। फिलहाल ई-वे बिल सिस्टम को 50 हज़ार रुपये से अधिक के सामान को सड़क, रेल, वायु या जलमार्ग से एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने पर लागू किया गया है।